“भारत में HMPV VIRUS के बढ़ते मामले: जानिए इसके लक्षण और किन लोगों के लिए है ज्यादा खतरा”

देश में HMPV VIRUS (Human Metapneumovirus) वायरस के संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यह वायरस विशेष रूप से श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है और सर्दी, खांसी, बुखार, गले में खराश जैसी समस्याओं का कारण बनता है। HMPV के लक्षण सामान्यतः फ्लू जैसे होते हैं, लेकिन यह गंभीर रूप से प्रभावित व्यक्तियों के लिए समस्या उत्पन्न कर सकता है।

HMPV VIRUS

HMPV VIRUS के लक्षण:

  • खांसी और गले में खराश
  • बुखार और ठंड लगना
  • नाक से पानी बहना या नाक बंद होना
  • सांस लेने में कठिनाई
  • शरीर में दर्द या थकावट

किन लोगों को है ज्यादा खतरा:

  • बुजुर्गों (60 वर्ष से ऊपर)
  • छोटे बच्चे, खासकर नवजात
  • कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग, जैसे कि कैंसर या एचआईवी के मरीज
  • श्वसन संबंधी समस्याओं (जैसे अस्थमा या COPD) से ग्रस्त लोग

HMPV VIRUS के संक्रमण से बचने के लिए हाथों की सफाई और मास्क का उपयोग करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, वायरस से संक्रमित व्यक्तियों से दूरी बनाए रखना भी एक अच्छा उपाय है।

कोरोना महामारी के बाद लोग मुश्किल से ठीक हुए थे कि इसी बीच एचएमपीवी HMPV VIRUS  (ह्यूमन मेटाप्नयूमोवायरस) ने नया संकट उत्पन्न कर दिया है। शुरुआत में चीन से इस वायरस के बढ़ते मामलों की रिपोर्ट आई, जहां अस्पतालों और श्मशान घाटों पर भी भारी भीड़ देखने को मिली। 6 दिसंबर को भारत में भी इस वायरस का पहला मामला सामने आया, जिससे स्वास्थ्य समुदाय में चिंता और सतर्कता बढ़ गई।

एचएमपीवी के बढ़ते प्रसार को लेकर लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं। आइए, इस वायरस और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी को विस्तार से समझते हैं।

हाल ही में आई रिपोर्ट्स के अनुसार, ब्रिटेन में HMPV (ह्यूमन मेटाप्नयूमोवायरस) के मामलों में दोगुनी वृद्धि हुई है। यूके के स्वास्थ्य विशेषज्ञ अब चीनी अधिकारियों से इस वायरस के प्रसार से संबंधित अहम जानकारी मांग रहे हैं, ताकि इसे वैश्विक स्तर पर नियंत्रण में लाया जा सके।

यात्रा के दौरान संक्रमण से बचाव के उपाय:

चूंकि HMPV VIRUS हवा के माध्यम से फैलता है, ऐसे में यह हवाई अड्डों और हवाई जहाजों जैसे भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जल्दी फैल सकता है। सफर करते वक्त खुद को सुरक्षित रखने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • डिजिटल चेक-इन का उपयोग करें
  • मास्क पहनें
  • सामाजिक दूरी बनाए रखें
  • नियमित रूप से हाथ धोएं

क्या लॉकडाउन जैसी स्थिति बन सकती है?

अमेरिका में HMPV VIRUS संक्रमितों का इलाज कर रहे डॉ. रविंद्र गोडसे ने बताया कि चीन की स्थिति को देखकर लोगों में डर हो सकता है, क्योंकि वहां संक्रमण की दर तेजी से बढ़ी है, लेकिन चीन की परिस्थिति अन्य देशों से अलग है, और इसकी तुलना करना उचित नहीं है।

चीन में ह्यूमन मेटाप्नयूमोवायरस के प्रसार का मुख्य कारण वहां की ‘जीरो-कोविड पॉलिसी’ है, जिसके तहत 2020 से लेकर 2023 तक सख्त लॉकडाउन लागू किया गया था। इस दौरान बच्चों का स्कूल जाना या सामाजिक संपर्क बहुत सीमित था, जिससे उनके शरीर में प्राकृतिक इम्यूनिटी का विकास नहीं हो सका। यही कारण है कि अब वहां के बच्चे इस नए म्यूटेटेड वायरस से ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।

दूसरी ओर, अन्य देशों में बच्चों में श्वसन रोगों के प्रति हर्ड इम्युनिटी विकसित हो चुकी है, और ऐसे में लॉकडाउन जैसी स्थिति की संभावना कम है।

हिमाचल प्रदेश में एहतियात:

एचएमपीवी के मामलों के बढ़ने के बाद हिमाचल प्रदेश में एहतियात के तौर पर आरटीपीसीआर टेस्ट शुरू कर दिए गए हैं। राज्य सरकार के निर्देशों के तहत स्वास्थ्य विभाग ने सभी अस्पतालों में सर्दी, खांसी, बुखार और कफ के लक्षणों वाले मरीजों की जांच का आदेश दिया है। इसके अलावा, एक विशेष लैब स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है, जहां संक्रमण की पुष्टि न होने पर अन्य परीक्षण किए जाएंगे।

पुणे में स्थिति:

पुणे जिला प्रशासन ने कहा कि HMPV VIRUS के मामलों को देखते हुए जरूरी व्यवस्थाएं की जा रही हैं, लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है। यह वायरस श्वसन संक्रमण का कारण बन सकता है, जो आमतौर पर हल्का होता है और अधिकांश लोग बिना किसी चिकित्सा intervention के ठीक हो जाते हैं।

साथ ही, प्रशासन ने यह भी बताया कि बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों पर भी निगरानी रखी जा रही है, ताकि संक्रमण के प्रसार को रोका जा सके।

भारत में HMPV के बढ़ते मामले

ह्यूमन मेटाप्नयूमोवायरस (HMPV) के मामलों में भारत में तेजी से वृद्धि हो रही है। हाल ही में महाराष्ट्र के नागपुर में कुछ बच्चों में संक्रमण की पुष्टि हुई, वहीं कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और गुजरात में भी इसके मामले सामने आए हैं।

घबराने की जरूरत नहीं

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि HMPV को लेकर चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह कोई नया या खतरनाक वायरस नहीं है। तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री मा सुब्रमण्यम ने भी पुष्टि की कि राज्य में संक्रमित पाए गए दोनों मरीज ठीक हो गए हैं। इनमें से एक 69 वर्षीय व्यक्ति था, जो कैंसर, उच्च रक्तचाप और मधुमेह से पीड़ित था, जबकि दूसरा लगभग 45 वर्ष का था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिन अन्य लोगों में संक्रमण हो रहा है, वे भी आसानी से स्वस्थ हो रहे हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि चिंता की कोई बात नहीं है।

HMPV का प्रसार कैसे होता है?

अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के अनुसार, HMPV का संक्रमण विभिन्न मौसमों में फैलता रहता है, लेकिन सर्दियों में इसका खतरा अधिक होता है। यह वायरस संक्रामक है और संक्रमित व्यक्ति से दूसरे लोगों में आसानी से फैल सकता है। HMPV के फैलने के कुछ प्रमुख तरीके हैं:

  1. खांसने और छींकने से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स से
  2. वायरस से संक्रमित सतहों या वस्तुओं को छूने से
  3. मुंह, नाक या आंखों को छूने से

संक्रमण से बचाव के उपाय

डॉक्टर रविंद्र का कहना है कि भारत में इस वायरस से ज्यादा खतरा नहीं है और इसके लिए कोई विशेष उपाय की आवश्यकता नहीं है। श्वसन संबंधी संक्रामक रोगों से बचाव के लिए वही उपाय कारगर हैं जो कोविड-19 के दौरान अपनाए जाते थे, जैसे हाथों की स्वच्छता बनाए रखना और इम्युनिटी को बढ़ाना। जिन व्यक्तियों को पहले से कोमॉरबिडिटी (जैसे डायबिटीज, उच्च रक्तचाप आदि) है या जिनकी इम्युनिटी कमजोर है, उन्हें मास्क पहनने और सामाजिक दूरी बनाए रखने की सलाह दी जाती है।

भारत में HMPV (ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस) के मामले बढ़ रहे हैं, और इस वायरस का पहला मामला 6 दिसंबर को कर्नाटक में सामने आया। इसके बाद तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र और नागपुर में भी संक्रमित और संदिग्ध मरीजों की पहचान की गई है। यह वायरस विशेष रूप से 14 साल से कम उम्र के बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को प्रभावित कर रहा है, और भारत में अब तक ज्यादातर मामले बच्चों में देखे गए हैं।

देश में HMPV के बढ़ते मामलों के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अलर्ट जारी किया है और राज्यों को सतर्क रहने की सलाह दी है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला ने श्वसन संबंधी बीमारियों और सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की समीक्षा की है। मंत्रालय ने लोगों को आश्वस्त किया है कि इस वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है। HMPV कोई नया वायरस नहीं है, बल्कि यह पिछले 60 वर्षों से मौजूद है और पिछले 25 सालों से वैज्ञानिकों को इसके बारे में जानकारी है।

HMPV का इतिहास और वैश्विक प्रसार

HMPV सबसे पहले डच वैज्ञानिकों द्वारा 1950 के दशक में पहचाना गया था और यह श्वसन संक्रमण के कारण बच्चों में पाया जाता है। चीन में हाल ही में इसके मामलों में तेजी आई, जिसके बाद यह वायरस अमेरिका, मलेशिया और भारत तक फैल गया है। मलेशिया में 2024 में HMPV के मामलों में 45% की वृद्धि देखी गई है, और वहां के स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों को मास्क पहनने, हाथों की स्वच्छता बनाए रखने और इम्युनिटी बढ़ाने की सलाह दी है।

चीन में इस वायरस के प्रसार के कारण अस्पतालों और श्मशान घाटों में भारी भीड़ देखी गई है, और इसके बाद से दुनियाभर में चिंता का माहौल बन गया है। हालांकि, HMPV के बारे में डॉ. रविंद्र गोडसे, जो अमेरिका में इसका इलाज कर रहे हैं, ने बताया कि यह वायरस अत्यधिक खतरनाक नहीं है। अधिकांश मामलों में इसके लक्षण फ्लू जैसे होते हैं और यह आमतौर पर बच्चों, बुजुर्गों या कमजोर इम्युनिटी वाले व्यक्तियों को प्रभावित करता है।

संक्रमण के प्रसार के कारण और बचाव के उपाय

HMPV एक आरएनए वायरस है, जो समय-समय पर म्यूटेट होता रहता है। यही कारण है कि चीन में इस वायरस के प्रसार में तेजी आई है। HMPV का प्रसार खांसी, छींक, संक्रमित सतहों को छूने और आंखों, नाक या मुंह को छूने के जरिए हो सकता है। इसके लक्षण आमतौर पर सर्दी-जुकाम, खांसी, गले में खराश और सांस लेने में कठिनाई जैसे होते हैं।

भारत में इस वायरस के मामलों के बढ़ने के बाद, लोगों को डरने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि श्वसन संबंधी संक्रामक रोगों से बचाव के लिए कोविड के दौरान किए गए उपाय, जैसे हाथों की स्वच्छता बनाए रखना, मास्क पहनना और इम्युनिटी को मजबूत करना, काफी मददगार साबित हो सकते हैं।

क्या HMPV कोविड जैसी महामारी बनेगा?

हालांकि HMPV की वजह से चीन में संक्रमण की दर तेजी से बढ़ी है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह वायरस कोविड-19 जैसी महामारी का रूप नहीं लेगा। डॉ. गोडसे का कहना है कि HMPV ज्यादातर हल्के लक्षण उत्पन्न करता है और अधिकतर मरीज बिना किसी गंभीर इलाज के ठीक हो जाते हैं।

इसलिए, जबकि HMPV को लेकर सतर्क रहना जरूरी है, लेकिन इसे लेकर घबराने की आवश्यकता नहीं है।

 

 

 


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